00कब की पत्थर हो चुकी थीं, मुंतज़िर आँखें मगर
छू के जब देखा तो मेरे हाथ गीले हो गए ..
- शाहिद कबीर
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3. Try again after some time.
00कब की पत्थर हो चुकी थीं, मुंतज़िर आँखें मगर
छू के जब देखा तो मेरे हाथ गीले हो गए ..
- शाहिद कबीर