6813रात के अँधेरे मैं, हथेली पर ऊँगली से लिख दिया उसने
'मुझे प्यार है तुमसे'
ना जाने कैसी सियाही थी ग़ालिब
दिखती भी नहीं और मिटती भी नहीं..
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3. Try again after some time.
6813रात के अँधेरे मैं, हथेली पर ऊँगली से लिख दिया उसने
'मुझे प्यार है तुमसे'
ना जाने कैसी सियाही थी ग़ालिब
दिखती भी नहीं और मिटती भी नहीं..