10Na jane kyon raet ki tarha nikal jaate hain haathon se woh log
Jin ko hum zindagi samajh kar kabhi khona nahi chaahte..
Urdu |
21Yehi mizaaj hai apna kisi ka dil na dukhe
judaaiyon ko bhi chaaha hai qurbaton ki tarha..
Urdu |
21Aaj fir tootengi tere ghar ki nazuk khirkiyan
aaj ek deewana tere shehar mein dekha gaya..
Urdu |
86न जान नादाँ इन्हें शज़र-ए-गुलिस्ताँ
ये आशिक़ हैं रुसवाई के
मुददत से इज़्हार-ए-इक़रार की
उम्मीद -ए-इंतेज़ार में ..
Urdu |
81Teri yaadein bhi tujh si zaalim hain Faraz
Jab dekhti hain tanha humein, sataane chali aati hain..
Urdu |
70खोने की दहशत और पाने की चाहत न होती,
तो ना ख़ुदा होता कोई, और न इबादत होती..
Hindi |
50Maangi thi dua aashiyane ki
chal padi aandhiya zamaane ki
mere gham koi na samajh saka
kyunki meri aadat thi MUSKURANE ki..
Urdu |
20Ankhein to pyaar mein dil ki zubaan hoti hain
sachi chahat to sada bezuban hoti hai
pyaar mai dard bhi mile to kya ghabraana
suna hai dard se chahat aur jawaan hoti hai..
Urdu |
22Woh bhi ajeeb shakhas tha ke jiss ki zaat par
jab aitbaar badh gaya to ekhtiaar na raha..
Urdu |
10हर लफ्ज़ के मायने मोहब्बत और
हर जंग का मक़सद जीत नहीं होता।
चाँद भी आता है ज़मीं पर
मगर कभी - कभी ।
अगर क़यामत तुम जैसी है
तो आज ही हो जाए ।
ये शायरी भी तेरी वफ़ा सी है
कभी बे-इन्तेहाँ
तो कभी बे-नियाज़ ।
सब आज ही बयां करोगे
कुछ तो अगली मुलाक़ात के लिए रख लो ।
सब आज ही बयां करने दो
अगली मुलाक़ात से पहले क़यामत ना हो ।
अलविदा, अब चलता हूँ
जो था सब कह दिया ।
वो चले जाते हैं अक्सर
बस कुछ देर ठहर कर ।
पत्तों की रौनक ही
पेड़ों की दास्ताँ है
ठूंठ तो बस
दर्द बयां करते हैं ।
फ़िज़ा सफ़ेद चादर ओढ़ ले
तो रुत सर्द जान पड़ती है
गुलिस्तां सजाने की चाहत हो
तो बहारों सा मिजाज़ रखिये ।
तनहाई में रहने का सबब पूछते हैं
वो जो ज़माने भर का ग़म दे गए ।
अंगारों को छूने की चाहत तो है
मगर हिम्मत नहीं ।
मुददत हुई या सदियाँ
तेरे इंतज़ार ने ये भी भुला दिया ।
जाने कब से हैं सुलग रहे
चंद बूंदों की चाहत में ।
उफ़ान और तूफ़ान
हदों के मोहताज़ नहीं ।
गुस्ताख़ी हमसे हुई है
तोहमत शराब को ना दे कोई ।
ज़लज़ले मुक़र्रर होंगे
तेरी तहरीर पर ।
समंदर सीने में है
फासले से देखिये
यूँ बेपरवाह कभी हम भी थे
एक लहर के आते ही शिकार हो गए ।
मैं तेरे ख़िलाफ़ हूँ क्यूंकि
तू मेरे ख़िलाफ़ है ।
ये ज़िन्दगी फ़क़त तेरे नाम की बरक़त से काबिज़ है ।
सहर तूने लिखवा दिया सूरज
अब ज़माना पढ़ रहा है ।
Urdu |
10Yeh zindagi hai ke barish hai sangraizoon ki
main toot phoot gya iss mein mubtila ho kar..
Urdu |
20हवा के साथ उड़ गये घर परिंदे का,
- Ali
कैसे बना था घोसला वो तूफान क्या जाने..
Hindi |
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