30Chaku-choori se seb nahi kaat-te
tevar hi unke teekhe hain..
Hindi |
10मैं देता रहा दलीलें इंसाफ की उम्मीद में
मगर वो भी क्या कम थे
हर बार हमारी उम्र को तजुर्बे से जोड़ देते थे ..
Hindi |
148Inflate this Farewell Party
with your Cheers & Laughter's
and depart with a Big Bang!!
English |
2417गाये कोयल, नाचे मोर
जय माँ का गूंजे नभ में शोर
आओ भक्तों कर लो गुणगान
जीवन मृत्यु का है दूजा नाम..
शुभ नवरात्रि..!
Hindi |
104रैली करके आइए
मज़मे लगाइए
गंगा में डुबकी लगा
सारे पाप धो आइए
कोविड महामारी बढ़े
तो जनता कर्फ्यू लगाइए।
#वाहचाचा
Hindi |
53कोरोना वायरस का तो पता नहीं पर
धोते रहने से हाथों का रंग तो बदल ही गया है ..
Hindi |
38Insaaniyat ko juda kar diya,
uff mazhab..yeh tu ne kya kar diya..
- in response to Paris Charlie Hebdo attack
Urdu |
10Differences in opinion do not matter
when the question pertains to
National Security..
English |
00Ibaadat-gaah ke hajoom se na dhoka ho rishi
suna hai malik-e-do-jahan tere seene mein bhi hai..
Urdu |
31Greatness is always subject to criticism
and I am no exception to this..
English |
01A ministar exhibits brilliance
and a minister everything else..
English |
10हर लफ्ज़ के मायने मोहब्बत और
हर जंग का मक़सद जीत नहीं होता।
चाँद भी आता है ज़मीं पर
मगर कभी - कभी ।
अगर क़यामत तुम जैसी है
तो आज ही हो जाए ।
ये शायरी भी तेरी वफ़ा सी है
कभी बे-इन्तेहाँ
तो कभी बे-नियाज़ ।
सब आज ही बयां करोगे
कुछ तो अगली मुलाक़ात के लिए रख लो ।
सब आज ही बयां करने दो
अगली मुलाक़ात से पहले क़यामत ना हो ।
अलविदा, अब चलता हूँ
जो था सब कह दिया ।
वो चले जाते हैं अक्सर
बस कुछ देर ठहर कर ।
पत्तों की रौनक ही
पेड़ों की दास्ताँ है
ठूंठ तो बस
दर्द बयां करते हैं ।
फ़िज़ा सफ़ेद चादर ओढ़ ले
तो रुत सर्द जान पड़ती है
गुलिस्तां सजाने की चाहत हो
तो बहारों सा मिजाज़ रखिये ।
तनहाई में रहने का सबब पूछते हैं
वो जो ज़माने भर का ग़म दे गए ।
अंगारों को छूने की चाहत तो है
मगर हिम्मत नहीं ।
मुददत हुई या सदियाँ
तेरे इंतज़ार ने ये भी भुला दिया ।
जाने कब से हैं सुलग रहे
चंद बूंदों की चाहत में ।
उफ़ान और तूफ़ान
हदों के मोहताज़ नहीं ।
गुस्ताख़ी हमसे हुई है
तोहमत शराब को ना दे कोई ।
ज़लज़ले मुक़र्रर होंगे
तेरी तहरीर पर ।
समंदर सीने में है
फासले से देखिये
यूँ बेपरवाह कभी हम भी थे
एक लहर के आते ही शिकार हो गए ।
मैं तेरे ख़िलाफ़ हूँ क्यूंकि
तू मेरे ख़िलाफ़ है ।
ये ज़िन्दगी फ़क़त तेरे नाम की बरक़त से काबिज़ है ।
सहर तूने लिखवा दिया सूरज
अब ज़माना पढ़ रहा है ।
Urdu |
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