10Kabhi mir toh kabhi ghaalib keh kar pukaara,
waah ri duniya toone mujhe naam ki chaahat mein duba kar maara..
kabhi peeth mein dhoke se to kabhi andhere mein,
waah ri duniya na kabhi toone saamne se maara..
kal tha bechaara to toone nashtar-e-lafzon se maara,
aaj hua aawaara to toone pathar-ro se maara..
waah ri duniya ..waah ri duniya ..
Urdu
10Mere fazil dost kahaani kuch aise likh
ki padhne ke liye mehtab laazmi ho..Details:
Fazil - Superior
Mehtab - Moonlight
Laazmi - Mandatary
Urdu |
2016समझ-आना और समझाना मुश्किल है
नेक बन्दों की ज़रुरत ख़ुदा को भी है ..
Hindi |
00Na kar fir mazboor mujhe likhne ko aaj,
ik hakeem ne rone se parhez kahaa hai..
Urdu
2629दिवाली मनाएँ मगर सावधानी से
क्योंकि
कुछ पटाखे और बम ऐसे भी
जो फोड़े भी नहीं जाते
और छोड़े भी नहीं जाते
आते हैं पास तो होता है
सर्दी में भी गर्मी का एहसास ..
Hindi |
10I don't want to teach you
because I want you to learn..
English |
55Exams are always tough but
they become even tougher
when they fall during festive season..
English |
10हर लफ्ज़ के मायने मोहब्बत और
हर जंग का मक़सद जीत नहीं होता।
चाँद भी आता है ज़मीं पर
मगर कभी - कभी ।
अगर क़यामत तुम जैसी है
तो आज ही हो जाए ।
ये शायरी भी तेरी वफ़ा सी है
कभी बे-इन्तेहाँ
तो कभी बे-नियाज़ ।
सब आज ही बयां करोगे
कुछ तो अगली मुलाक़ात के लिए रख लो ।
सब आज ही बयां करने दो
अगली मुलाक़ात से पहले क़यामत ना हो ।
अलविदा, अब चलता हूँ
जो था सब कह दिया ।
वो चले जाते हैं अक्सर
बस कुछ देर ठहर कर ।
पत्तों की रौनक ही
पेड़ों की दास्ताँ है
ठूंठ तो बस
दर्द बयां करते हैं ।
फ़िज़ा सफ़ेद चादर ओढ़ ले
तो रुत सर्द जान पड़ती है
गुलिस्तां सजाने की चाहत हो
तो बहारों सा मिजाज़ रखिये ।
तनहाई में रहने का सबब पूछते हैं
वो जो ज़माने भर का ग़म दे गए ।
अंगारों को छूने की चाहत तो है
मगर हिम्मत नहीं ।
मुददत हुई या सदियाँ
तेरे इंतज़ार ने ये भी भुला दिया ।
जाने कब से हैं सुलग रहे
चंद बूंदों की चाहत में ।
उफ़ान और तूफ़ान
हदों के मोहताज़ नहीं ।
गुस्ताख़ी हमसे हुई है
तोहमत शराब को ना दे कोई ।
ज़लज़ले मुक़र्रर होंगे
तेरी तहरीर पर ।
समंदर सीने में है
फासले से देखिये
यूँ बेपरवाह कभी हम भी थे
एक लहर के आते ही शिकार हो गए ।
मैं तेरे ख़िलाफ़ हूँ क्यूंकि
तू मेरे ख़िलाफ़ है ।
ये ज़िन्दगी फ़क़त तेरे नाम की बरक़त से काबिज़ है ।
सहर तूने लिखवा दिया सूरज
अब ज़माना पढ़ रहा है ।
Urdu |
143River changes course
enter new fields
meet new cultures
get fresh identities
still we remember
where it originated from..
English |
96कतई लाज़मी नहीं
कि रंज-ए-उल्फ़त में
रोया ही जाये
हौंसला कीजिए
दुआ भी मुमकिन है ..
Urdu |
11Aksar bhool jaata hun tujhe
zamaane ki bheed mein
badzaatee aisi ki khud ko
insaan kahu bhi to kaise..
Persian |
00Darr jaata hun kabhi khud se
chehra nahi apne khayaalaat dekh kar..
Urdu |
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